* नए साल का पहेला गीत विनोदिनी के सही हकदार को अर्पण …2013
सैया ! जिया जाए ना तुम बिन, जिया जाए ना.
कैसे कहूँ मन की बातें, कुछ भी कहा जाए ना..
तुम बिन सैया जिया जाये ना….
जैसे पिघल जाये चादनी चाँद की किरण से
मैं पिघलूं ऐसे ही, तु जो लिपट जाओ तन से
बेज़ुबां हो जाऊं, लबसे कुछ भी कहा जाए ना!
तुम बिन सैया जिया जाये ना….
नज़रें झुका कर इतराऊं, तेरी शोख़ नजर से,
संयम के बंध तोड़ बैठूँ, जो लगा लो अधर से.
बन कर ख़ुश्बू हवा संग मुझ से उड़ा जाए ना!
तुम बिन सैया जिया जाये ना….
मेरे रूप का दर्पण सजता, तेरी एक नजर से.
मै पायल – कंगना खनकाऊं तेरी रहगुज़र पे
तुम बिन महका जाये ना अब तो बहका जाये ना !
तुम बिन सैया जिया जाये ना….
रेखा
Janak Manilal Desai
December 31, 2012 at 10:37 pm
संयम के बंध तोड़ बैठूँ, जो लगा लो अधर से.
मेरे रूप का दर्पण सजता, तेरी एक नजर से.
આ બે પંક્તિઓ ખુબ જ ગમી.
Ketan Desai
December 31, 2012 at 11:10 pm
Tera sath hai itna pyara kam lagta hai jivan Sara tere Milan ki Lagan me tume aana padega duniya me dubara
rekha (sakhi)
January 1, 2013 at 1:57 am
Thank you janak bhai and ketan bhai.
Happy new year.