किसीने छूके मुझे अपना कहाँ रख्खा है ? जैसे अपने ही साँसो में सजा रख्खा है. मिले तो ऐसे की जैसे हवा से फूल खिले कहीसे बहते हुए झरनेमें तपती घुप मिले. जैसे अपने ही चाहतमें कैद बना रख्खा है. हमारा होश…
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किसीने छूके मुझे अपना कहाँ रख्खा है ? जैसे अपने ही साँसो में सजा रख्खा है. मिले तो ऐसे की जैसे हवा से फूल खिले कहीसे बहते हुए झरनेमें तपती घुप मिले. जैसे अपने ही चाहतमें कैद बना रख्खा है. हमारा होश…
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