मेरे दिल को तसल्ली तेरी आहट से मिल जाती है
बस पल दो पल सुकून-ए राहत से मिल जाती है
मेरे भीतर बढ़ता रहा पौधा तेरी याद ने बोया था
दिल को ठंडक उसकी इनायत से मिल जाती है
अगर तुम आओ तो थोड़ी देर ठहरना मेरे पास
खुशियाँ तेरे प्यार की गरमाहट से मिल जाती है
मरने के बाद तो मंज़िल तक तक पहोंच जाते है
मुझे तो जिंदगी तेरी एक नजर से मिल जाती है
इन गीतों गज़लों से मोहब्बत पूरी कहा होती है
सच्ची मोहब्बत बस मुस्कराहट से मिल जाती है
पल पल यूँ मिलना,पल यूँ बिछडना गंवारा नही
बाकी रही मोहब्बत तो कयामत से मिल जाती है
मोहब्बत के जज़्बे को उल्फ़त समझो या इबादत
अगर रूह की भूख हो तो चाहत से मिल जाती है
-रेखा पटेल(विनोदीनी)