मुजमे कही ….
एक पगली लड़की बसती है.
कभी आजको ओढ़े वो …
हवा सँग उडती, पानी संग बहेती है.
खुशिओं समेटे आँचलमें
बेतहाशा फूलों को हँसाती है.
कभी यादे समेटे …
वो भूली बाते दोहराती है.
अनजानी गलियों में भटकती है.
शोर गुलसे कोशो दूर,
वो सन्नाटे में सुनाई पड़ती है.
प्यार अपनोंका उसकी कमजोरी,
उन बिन एक पल जीना भारी है.
दर्पण में वो टिकती नहीं,
दिलमें देखो वो वही मिल जाती है
मुझमें रहेती वो मुजसे अलग
कही मुझको भी मिल जाती है
मुजमे कही
एक पगली लड़की बसती है..
रेखा पटेल (विनोदिनी)
Vimala Gohil
August 24, 2016 at 6:40 pm
यही तो है असली “विनोदिनी” रेखा…..