धूप में ठंडी छाँव जैसा जो लगता है ,वो प्यार है
पहली बारिश का अहेसास दे जाता वो प्यार है.
एक नया बंधन,बन जाये जब खुशियो का दर्पण
तब होठों पर मीठी मुश्कान भर देता वो प्यार है.
सागरसे गहेरा लगे ,और वो रहे आसमान से उचा
मीठे ख़्वाब को मीठी हकीकत बनाता वो प्यार है .
ना हार जीत की बात हो ,हर पल विस्वास खिले
दो अलग जिस्म को एक जान कहता वो प्यार है.
भूलाकर अपने गम वो खुशियाँ देता है यार को
बनकर नादाँ “प्यार”को जिन्दा रखता वो प्यार है.
-रेखा पटेल (विनोदिनी )