RSS

एक कविता…… अनछुए रिश्ते.

22 Jul

एक कविता…… अनछुए रिश्ते.
आज मुझसे मिलने ये कौन आया ?
शायद कुछ रिश्ते थे लेकिन बेनाम थे
लगते वो ख़ास थे ,कुछ पास भी थे 
खो जाये उससे पहले अपना बना लु
अपना बनाके कोई मनपसंद नाम दू
आज सोचा कुछ नाम रख ही दूँ.…

कभी हो खट्टे मीठे, नमकीन कहे दू
अगर वो मीठा है तो सहद नाम दू
अगर है कड़वा तो ज़हर कहें दू
जो है वो ठंडा तो कुछ बर्फ नाम दू
अगर वो है जलद अंगार कहें दू
आज सोचा कुछ नाम रख ही दूँ…..

वो अनछुए रिश्तो को मैने छूना चाहा
अगर वो सुकोमल है फूलोका नाम दू
है वो कठोर दर्दीले दर्द,जख्म कहें दू,
कुछ रिश्ते मौन है उसे अंजान नाम दू
दूर रहकर भी चमकते है चाँद कहे दू
आज सोचा कुछ नाम रख ही दूँ.…

रिश्तो को दुनियाकी नज़र से बचाना चाहा
जो कीमती है तो दिलमे छुपाकर रख दू
हो अगर जो ख़ास उन्हें पलको पे रख दू
वो जो अनमोल है,आखोंमे सजाके रख दू
मिले जो स्वर्ग उस रिश्तेको प्यार नाम दू
आज सोचा कुछ नाम रख ही दूँ.…

रेखा पटेल ( विनोदिनी )
7/21/14

 

 

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

 
%d bloggers like this: