RSS

शरद पूर्णिमा

29 Oct

लो आ गईं चादनी रात मेरा मन हरने,
चाँदनीमें घुला आसमान लगा निखरने .
मुसकाई धरती, वो भी लगी चमकने ,
उतरा चाँद आज मेरे मन में घर करने .
मेरा खिला घ्वालसा मन लगा विहरने .
सब कुछ श्वेत सुन्दर जैसे जादू-टोना ….

लगी झरनेसे लो अब चादी झर झरने
हुए बेताब चाँद से देखो चकोरी मिलने
यमुना तट पर कान पुकारे रास रचाने
हुए बेताब राघा के पायल साज सजाने
मुग्ध हुई ईन चारो दिशा लगीं सवरने
जग का सुन्दर लगे कोना-कोना ….
रेखा ( सखी )

शरद पूर्णिमा से हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है. आसो मास के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं .
इस दिन चांद अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है.
इस दिन चांद की किरणें धरती पर अमृतवर्षा करती हैं. पोहा की खीर बनाकर इसे चांद की रोशनी में रखकर प्रसाद समज कर भोग करते है
इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं क्योंकि इसी दिन श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास की शुरूआत की थी.
इस पूर्णिमा पर कहीं कहीं इन्द्र देव और महालक्ष्मी की पूजा आरती भी उतारते हैं. कई जगह ये मान्यता है की लक्ष्मी और इन्द्र देव रात भर घूम कर देखते हैं कि कौन जाग रहा है और जो जागता हो उसे धन प्राप्त होता है ,इसलिए पूजा के बाद जागरण करते है
इस दिन चांद धरती के सबसे नजदीक होता है इसलिए शरीर और मन दोनों को शीतलता देता है. जो स्वास्थ्य के लिए बहोत अच्छा है.
जो भी हो चांद मुझे हर हाल में प्यारा लगता है .
“हेप्पी शरद पूर्णिमा ”
रेखा पटेल

 

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

 
%d bloggers like this: