ये प्रेम चीज क्या है ?
जो रुलाती है वो ,या वो जो हँसाती है .
अगर उसे पा लेते है तब भी आखे भीग जाती है
अगर छोड़ना पड़े तब भी आखे भर जाती है
जबी उसे पहेली बार देखा तब उसी क्षण अहेसास हुआ बस यही है मेरी जीवन डोरी , जिसके खीचने से में खीचती चली आई हु .
मनमे तरंग उठा उसे बाहोंमे भर लू
सीनेसे लगालु होठोसे चूम लू .
आख़े ख़ुशी से भर आई ,
तब अहेसास हुआ बस यही प्रेम है ….
कही से कोई अचानक आ गया
उसे अपने साथ ले गया
शायद उसीका था वो .
उसका ही हक़ था की उसे बाहोमे भर कर प्यार करे .
मेरी सूनी गोद खाली थी,
मेरी ममता रो रही थी कही .
आखे फिर छलक पड़ी …
रेखा ( सखी )