सोशल नेटवर्किंग साइट्स .. फेसबुक लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए है, फेसबुक की आभासी दुनिया मिले बगैर एक-दूसरे से जुड़ी रहती है।
एक दूसरे के सपने, सुख-दुःख बांटती भी है और दूसरे ही पल रिश्तों को ब्लॉक कर आगे बढ़ जाती है।
फेसबुक का ऐसा विश्व तैयार हो चुका है, जिसमें लाइक और शेयर का खेल चलता रहता है .एक बड़ा हिस्सा फेसबुक का एडिक्ट बन चुका है . यह एडिक्शन उनकी जिंदगी ऐसा सूक्ष्म बदलाव ला रहा है,
फेसबुक पर फ्रेंडलिस्ट में दोस्तों की संख्या बढ़ाने के चक्कर में लोग बिना सोचे-समझे फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते है
कई बार बिना सोचे-समझे शुरू हुई ऑनलाइन दोस्ती ही उनके लिए परेशानी का सबब बन जाती है .
अच्छे दोस्त बनाने है तो रियल आएडी वाले फ्रेंड के साथ ही चेट करे , अपना सुख दुःख सबके साथ ना बाटे
मनोचिकित्सकों का कहना है कि समाज से जुड़ने का ये एक अच्छा माध्यम है, लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है।
यहाँ कुछ अच्छे दोस्त भी मिलते है , कुछ महेगी परेशानिया भी हाथ लगती है
कभी कभी ये दुनिया अपनी लगती है कभी आभासी लगती है
कभी ये सब किछ छोड़ने को मन करता है .. पर कुछ अच्छे दोस्तों का साथ पाने की लालच मुझे रोके रखती है , अब देखते है कब तक टिक पाते है …
Have a nice day
Rekha