मंजिल मिले ना मिले मंजिल की राह मिली,
वीरान सफ़र में इन्ही नजरो की आस मिली .
दिल आपको देखकर थम ही जाता मगर,
ओस में डूबी झील सी आँखें ख़ास मिली .
अच्छे बुरे की पहचान लगती थी मुश्किल,
अपनी सूरत दिखाते आइने में साँस मिली .
हया का पर्दा लगे ओठ तो हिलते नहीं थे,
मधुशाला सी भरी आँखों से प्यास मिली .
मेरा कई मर्जो का इलाज तेरी ये आँखें,
मन और धड़कन का एक आवास मिली .
रेखा ( सखी ) 3/18/13